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20 दिस॰ 2021

How to download Up board Class 10 Model Papers

How to download Up board Class 10 Model Papers

 How to download Up board Class 10 Model Papers


UPMSP (उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद) ने अपना प्रतीदर्श प्रश्न पत्र जारी कर दिया है। जैसा कि आप लोग जानते है कि प्रतिदर्श प्रश्न पत्र से बच्चो को यह पता हो जाता है कि पेपर कैसा आने वाला है इससे बच्चो का मन में को संदेह बना होता है वह दूर हो जाता है। 





प्रतिदर्श प्रश्न पत्र कैसे DOWNLOAD करें

प्रतीदर्ष प्रश्न पत्र डाउनलोड करने के लिए आपको upmsp (उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद) के ऑफिसियल website https://upmsp.edu.in जाना होगा ।




ऑफिसियल वेबसाइट पर जाने के बाद आप को इस प्रकार का पेज खुलेगा।






फिर आपको ऊपर से दाईं ओर दिखाई से रहे तीन बिंदुओं को क्लिक करना है।
क्लिक करते ही आप सभी एक नए पेज पर पहुंच जाएंगे।

यह पर दिखाए दे रहे पेपर मॉडल के option को सेलेक्ट करे।
सेलेक्ट करते ही आप लोग डाउनलोड वाले ऑप्शन में पहुंच जाएंगे।


जहां से आप लोग अपने प्रश्न पत्र को डाउनलोड कर सकत
 हो।
धन्यवाद

2 नव॰ 2019

छठ पर्व क्या है, और क्यों मनाया जाता है

छठ पर्व क्या है, और क्यों मनाया जाता है

छठ पर्व क्या है, और क्यों मनाया जाता है


छठ पर्व पूर्वांचल में मनाए जाने वाला सबसे बड़ा पर्व है जो कार्तिक मास के शुक्लपक्ष षष्टी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार चार दिनों तक चलता है। इस पूजा का आयोजन पूरे भारत वर्ष में एक साथ किया जाता है। भगवान सूर्य को समर्पित इस पूजा में सूर्य को अध्र्य दिया जाता है। पूजन में शरीर और मन को पूरी तरह साधना पड़ता है, इसलिए इस पर्व को हठयोग भी कहा जाता है।



छठ मैया कौन हैं

छठी मैया भगवान की पुत्री है जिनका जन्म प्रकृति के छठे अंश में हुआ। इनका नाम देवसिन्हा भी है। और इन्हे हम सूर्य की बहन भी मानते है। इनके साथ सूर्य की भी पूजा की जाती है और अर्घ भी दिया जाता है। इस देवी का बालको के प्रति बहुत प्रेम रहता है। ये बालको का बहुत ही अच्छे से देखभाल करती है और बच्चो को बहुत ही फुर्तीला, सुंदर, शुशील, गुणवान और शक्तिशाली बनाती है। इस लिए जब बच्चे पैदा होते है उसके छठे दिन बहुत अच्छे से पूजा की जाती है। और अपने बच्चे के प्रति बहुत सी इच्छाएं रखते है।
छठ पूजा क्यों की जाती है? इसको लेकर विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। हम यहां छठ पूजा मनाने को लेकर प्रचलित कथाओं के बारे में बता रहे हैं।

छठ से जुड़ी कहानियां

छठ पूजा क्यों की जाती है? इसको लेकर विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। हम यहां छठ पूजा मनाने को लेकर प्रचलित कथाओं के बारे में बता रहे हैं।

1.भगवान श्री राम सूर्यवंशी थे। इसलिए जब श्रीराम लंका पर विजय करके वापस अयोध्या आए तो उन्होंने अपने कुलदेवता सूर्य की उपासना की। उन्होंने देवी सीता के साथ षष्ठी तिथि पर व्रत रखा। सरयू नदी में डूबते सूर्य को अध्र्य दिया। सप्तमी तिथि को भगवान श्री राम ने उगते सूर्य को अध्र्य दिया। इसके बाद से आम जन भी इसी तरह से भगवान सूर्य की आराधना करने लगे। जिससे छठ पूजा की शुरुवात कहा जाने लगा।



2. महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार दुर्योधन ने अपने मित्र कर्ण को अंग देश का राजा बना दिया था। जो वर्तमान में भागलपुर के नाम से जाना जाता है। कर्ण कुन्ती और सूर्यदेव के पुत्र थे, इसलिए वे सूर्यदेवता की उपासना करते थे। कर्ण नियम पूर्वक कमर तक पानी में जाकर सूर्य देव की आराधना करते थे और दान देते थे। माना जाता है कि षष्ठी और सप्तमी के दिन कर्ण सूर्य देवता की विशेष पूजा करते थे। अपने राजा की सूर्य भक्ति से प्रभावित होकर अंग देश के निवासी सूर्य देवता की पूजा करने लगे। धीरे-धीरे यह पूजा पूरे क्षेत्र में की जाने लगी।

3. साधु की हत्या का प्राश्चित करने के लिए जब महाराज पांडु अपनी पत्नी कुंती और माद्री के साथ वन में दिन गुजार रहे थे। उन दिनों पुत्र प्राप्ति की इच्छा से महारानी कुंती ने सरस्वती नदी में सूर्य की पूजा की थी। इससे कुंती पुत्रवती हुई। इसलिए संतान प्राप्ति के लिए छठ पर्व का बड़ा महत्व है। कहते हैं इस व्रत से संतान सुख प्राप्त होता है। वहीं जब पांडव राजपाट गंवाकर वन-वन भटक रहे थे तब भी द्रोपती और कुंती ने छठ पूजा की थी।

 छठ के लिए पूजा सामग्री -


 1. प्रसाद के लिए दो बांस की टोकरी
 2. बांस से बने 3 सूप
 3. लोट्टा
 4. प्लेट
 5. दूध
 6. पानी रखने के लिए ग्लास
 7. नए वस्त्र
 8. चावल
 9. लाल सिंदूर
 10. सनी
 11. बड़ा दीपक
 12. नारियल पानी
 13. पत्ती वाला गन्ना
 14. सूँघना
 15. शकरकंद
 16. हल्दी और अदरक का पौधा
 17. नाशपाती
 18. बड़ा नींबू मीठा
 19. शहद के डिब्बे
 20. साबुत सुपारी
 21. कारवां
 22. कपूर
 23. कुमकुम
 24. चंदन
 25. मिठाई

 आपको बता दें कि इस साल नवंबर में खरना विधी के बाद, 2 नवंबर को पहला संध्या अर्घ और 3 नवंबर को उषा अर्घ्य और परण है। वहीं, लोग चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में सूर्य देव की पूजा करते हैं, और छठ पूजा में  , कई अनुष्ठान किए जाते हैं जिन्हें बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।


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धन्यवाद।
जय छठी मैया

30 अक्तू॰ 2019

छठ पर्व क्यों मनाया जाता है

छठ पर्व क्यों मनाया जाता है

छठ पर्व क्यों मनाया जाता है


भारत को त्योहारों की भूमि कहा जाए तो गलत नहीं है। यहां पर अनेक प्रकार के त्यौहार मनाए जाते है। त्यौहार के साथ हमारी खुशियां भी एक दूसरे के साथ मिल जाती है। यह पर बहुत से प्रसिद्ध त्योहार मनाए जाते है उनमें से एक है महान पर्व छठ पूजा जो की बिहार का माना जाना पर्व है। यह पहले बिहार झारखंड और पूर्व उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला पर्व था जो अब अपने भारत में बहुत ही प्रसिद्ध होने के साथ साथ अब विदेशों में भी मनाया जाने लगा। दीवाली के 6 दिन बाद यह त्योहार  मनाया जाता है । यह त्योहार पूरे चार दिन का होता है। दीवाली के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि को समाप्त होता है।  इसमें पहला दिन जिसे नहाय खाय कहते है यह कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन व्रती चना के दाल कद्दू की सब्जी और चावल बनाकर खाती हैं।



दूसरा दिन यानी शुक्ल पक्ष पंचमी को खरना होता है। इस दिन व्रती शाम को स्नान करके गन्ने के रस में चावल पकाकर खीर और चूप्री बनती है। व्रती को खा लेने के बाद परिवार के सभी परिजन उस प्रसाद को ग्रहण करते है। आस पास के लोग भी करना का प्रसाद लेने के लिए आते है। या फिर जहां तक हो सके व्रती के परिजन के द्वारा आस पास पहुंचाया जाता है। इस दिन नमक या चीनी में बने खाद्य पदार्थ ग्रहण व्रती द्वारा नहीं किया जाता है।

तीसरा दिन शुक्ल पक्ष षष्ठी का व्रत 36 घंटे का होता है। इस दिन सभी व्रती के यहां ठेकुआ और चावल के आटे का बना कसार व्रतियों और उनके परिवार के द्वारा बनाया जाता है। अनेक प्रकार के फल फूल सब्जी प्रसाद के रूप में लाया जाता है। और इसे एक बांस की टोकरी में भरकर किसी जलाशय तालाब और नदी के किनारे व्रती के परिजनों के द्वारा ले जाया जाता है। और साथ में गन्ना भी के जाया जाता है और देखते देखते घाटों पर भीड़ लग जाती है और एक मेले का रूप धारण हो जाता है।फिर इसके बाद सायं काल में डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
चौथा दिन शुक्ल पक्ष सप्तमी को सभी व्रती सूर्य को अर्घ्य देकर अपना व्रत का समापन करती है। और फिर घाटों पर आए हुए श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण कराया जाता है।

कहां से छठ पूजा प्रारंभ हुआ

ये कहानी एक राजा से जुड़ी हुई है । उस राजा का नाम था प्रियवंत। जिसकी कोई संतान नहीं थी। संतान के बिना राजा बहुत व्याकुल था। ऋषि मुनियों के कहने पर उसने यज्ञ कराया और महर्षि कश्यप ने मालिनी रानी को खीर आहुति में दी। फिर राजा को एक पुत्र की प्राप्ती हुईं किन्तु पुत्र जीवित नहीं था और राजा श्मशान गए और पुत्र के वियोग में अपना प्राण भी त्यागने का निश्चय कर लिया। इस दौरान भगवान की पुत्री देवसिंहा प्रकट हुईं। राजा  पूछा आप कौन है देवी तो उन्होंने बताया कि मै प्रकृति के छात्र वंश में पैदा हुई हूं इसलिए हमे श्रृष्टि के नाम से जाना जाता है। यदि आप मेरा पूजा करते है और दूसरे से भी करवाते है तो आपको पुत्र की प्राप्ती होगी।
यह सुनकर राजा राजा घर आए और कार्तिक षष्टी को पूजा किया। और एक सुंदर पुत्र की प्राप्ती की।

पारम्परिक छठ गीत



और दूसरी कहानी रामायण में मिलती है राजा दशरथ के पुत्र राम जब रावण का वध करके अयोध्या आए थे तो सभी ने मिलकर पाप से मुक्ति पाने के लिए यज्ञ की योजना बनाई और मुगदल ऋषि के द्वारा राजसूर्य यज्ञ हुआ यज्ञ के दौरान सीता जी ने चार दिन का उपवासना की और ऋषियों ने सीता मां पर गंगा जल छिड़के।
जय छटी मईया