2 नव॰ 2019

छठ पर्व क्या है, और क्यों मनाया जाता है

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छठ पर्व क्या है, और क्यों मनाया जाता है


छठ पर्व पूर्वांचल में मनाए जाने वाला सबसे बड़ा पर्व है जो कार्तिक मास के शुक्लपक्ष षष्टी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार चार दिनों तक चलता है। इस पूजा का आयोजन पूरे भारत वर्ष में एक साथ किया जाता है। भगवान सूर्य को समर्पित इस पूजा में सूर्य को अध्र्य दिया जाता है। पूजन में शरीर और मन को पूरी तरह साधना पड़ता है, इसलिए इस पर्व को हठयोग भी कहा जाता है।



छठ मैया कौन हैं

छठी मैया भगवान की पुत्री है जिनका जन्म प्रकृति के छठे अंश में हुआ। इनका नाम देवसिन्हा भी है। और इन्हे हम सूर्य की बहन भी मानते है। इनके साथ सूर्य की भी पूजा की जाती है और अर्घ भी दिया जाता है। इस देवी का बालको के प्रति बहुत प्रेम रहता है। ये बालको का बहुत ही अच्छे से देखभाल करती है और बच्चो को बहुत ही फुर्तीला, सुंदर, शुशील, गुणवान और शक्तिशाली बनाती है। इस लिए जब बच्चे पैदा होते है उसके छठे दिन बहुत अच्छे से पूजा की जाती है। और अपने बच्चे के प्रति बहुत सी इच्छाएं रखते है।
छठ पूजा क्यों की जाती है? इसको लेकर विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। हम यहां छठ पूजा मनाने को लेकर प्रचलित कथाओं के बारे में बता रहे हैं।

छठ से जुड़ी कहानियां

छठ पूजा क्यों की जाती है? इसको लेकर विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। हम यहां छठ पूजा मनाने को लेकर प्रचलित कथाओं के बारे में बता रहे हैं।

1.भगवान श्री राम सूर्यवंशी थे। इसलिए जब श्रीराम लंका पर विजय करके वापस अयोध्या आए तो उन्होंने अपने कुलदेवता सूर्य की उपासना की। उन्होंने देवी सीता के साथ षष्ठी तिथि पर व्रत रखा। सरयू नदी में डूबते सूर्य को अध्र्य दिया। सप्तमी तिथि को भगवान श्री राम ने उगते सूर्य को अध्र्य दिया। इसके बाद से आम जन भी इसी तरह से भगवान सूर्य की आराधना करने लगे। जिससे छठ पूजा की शुरुवात कहा जाने लगा।



2. महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार दुर्योधन ने अपने मित्र कर्ण को अंग देश का राजा बना दिया था। जो वर्तमान में भागलपुर के नाम से जाना जाता है। कर्ण कुन्ती और सूर्यदेव के पुत्र थे, इसलिए वे सूर्यदेवता की उपासना करते थे। कर्ण नियम पूर्वक कमर तक पानी में जाकर सूर्य देव की आराधना करते थे और दान देते थे। माना जाता है कि षष्ठी और सप्तमी के दिन कर्ण सूर्य देवता की विशेष पूजा करते थे। अपने राजा की सूर्य भक्ति से प्रभावित होकर अंग देश के निवासी सूर्य देवता की पूजा करने लगे। धीरे-धीरे यह पूजा पूरे क्षेत्र में की जाने लगी।

3. साधु की हत्या का प्राश्चित करने के लिए जब महाराज पांडु अपनी पत्नी कुंती और माद्री के साथ वन में दिन गुजार रहे थे। उन दिनों पुत्र प्राप्ति की इच्छा से महारानी कुंती ने सरस्वती नदी में सूर्य की पूजा की थी। इससे कुंती पुत्रवती हुई। इसलिए संतान प्राप्ति के लिए छठ पर्व का बड़ा महत्व है। कहते हैं इस व्रत से संतान सुख प्राप्त होता है। वहीं जब पांडव राजपाट गंवाकर वन-वन भटक रहे थे तब भी द्रोपती और कुंती ने छठ पूजा की थी।

 छठ के लिए पूजा सामग्री -


 1. प्रसाद के लिए दो बांस की टोकरी
 2. बांस से बने 3 सूप
 3. लोट्टा
 4. प्लेट
 5. दूध
 6. पानी रखने के लिए ग्लास
 7. नए वस्त्र
 8. चावल
 9. लाल सिंदूर
 10. सनी
 11. बड़ा दीपक
 12. नारियल पानी
 13. पत्ती वाला गन्ना
 14. सूँघना
 15. शकरकंद
 16. हल्दी और अदरक का पौधा
 17. नाशपाती
 18. बड़ा नींबू मीठा
 19. शहद के डिब्बे
 20. साबुत सुपारी
 21. कारवां
 22. कपूर
 23. कुमकुम
 24. चंदन
 25. मिठाई

 आपको बता दें कि इस साल नवंबर में खरना विधी के बाद, 2 नवंबर को पहला संध्या अर्घ और 3 नवंबर को उषा अर्घ्य और परण है। वहीं, लोग चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में सूर्य देव की पूजा करते हैं, और छठ पूजा में  , कई अनुष्ठान किए जाते हैं जिन्हें बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।


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धन्यवाद।
जय छठी मैया
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